Dhan Me Tana Chedak Ki Dawa, Paddy Stem Borer Control
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Dhan Me Tana Chedak Ki Dawa, Paddy Stem Borer Control: धान में तना छेदक का नियंत्रण, लक्षण, समस्या और उपाय

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कृषि ब्लॉग: फसल समस्या समाधान | Agriculture Blog in Hindi


Paddy Stem Borer Control: धान में तना छेदक का नियंत्रण, लक्षण, समस्या और उपाय जाने सम्पूर्ण जानकारी।


धान (चावल) भारत में मुख्य खाद्यान्न फसल है और देश की कृषि अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। धान की फसल पर कई कीटों और बीमारियों का हमला होता है, जिनमें से एक महत्वपूर्ण कीट तना छेदक (Stem Borer Insect) है।तना छेदक इल्ली धान के तने में सुरंग बनाकर पौधे को नुकसान पहुँचाती है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में कमी आती है।

Farmer Phone Company (FarmerPhone.Com) के माध्यम से इस लेख में हम धान में तना छेदक की सम्पूर्ण जानकारी, (Dhan Me Tana Chedak Ki Dawa) तना छेदक से होने वाले नुकसान, इसके लक्षण, पहचान, जीवन चक्र, जैविक और रासायनिक नियंत्रण और उपयोगी कीटनाशक दवाओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।


धान में तना छेदक की सम्पूर्ण जानकारी | Paddy Stem Borer Information in Hindi

तना छेदक इल्ली (Stem Borer) धान की फसल के लिए एक गंभीर कीट है जो विशेष रूप से तनों में छेद करके अंदर घुस जाती है और वहां रहकर तने को प्रभावित करके पौधे की वृद्धि को बाधित करती है।

तना छेदक इल्ली कई प्रकार की होती हैं, जैसे कि येलो स्टेम बोरर (Scirpophaga incertulas), व्हाइट स्टेम बोरर (Scirpophaga innotata), और पिंक स्टेम बोरर (Sesamia inferens)।

ये कीट फसल की प्रारंभिक अवस्था से लेकर फसल की कटाई तक किसी भी समय हमला कर सकते हैं। तना छेदक का आक्रमण पौधे की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है और गंभीर मामलों में फसल की पूरी तरह से बर्बादी हो सकती है।

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तना छेदक से धान में नुकसान | What are the effects of Stem Borers

  1. तना छेदक इल्ली पौधे के तने में घुसकर उसकी वृद्धि को रोक देती है, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है।
  2. तना छेदक के कारण पौधे में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जिससे दानों की मात्रा और गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है।
  3. तना छेदक के हमले से पौधे की जड़ें कमजोर हो जाती हैं, जिससे पौधे का ऊपरी हिस्सा सूख जाता है। इसे “डेडहार्ट” कहा जाता है।
  4. बालियों में फूल निकलने के बाद तना छेदक के आक्रमण से सफेद बाली (व्हाइट हेड) बनती है, जिसमें दाना नहीं बनता।
  5. तना छेदक के कारण धान की फसल में उत्पादन क्षमता पर 40 से 50% तक कमी आ सकती है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है।
  6. अगर तना छेदक का प्रकोप बहुत अधिक हो तो पूरी फसल नष्ट हो सकती है, जिससे किसान को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता है।

धान में तना छेदक कब लगता है | Paddy Stem Borer Damage

  • धान में तना छेदक इल्ली का आक्रमण मुख्यतः फसल की रोपाई के बाद 3 से 4 सप्ताह के भीतर शुरू हो जाता है और फूल निकलने के समय तक रहता है।
  • यह कीट दिन और रात दोनों समय सक्रिय रहता है, लेकिन शाम के समय इसकी सक्रियता अधिक होती है।
  • तना छेदक इल्ली उच्च आर्द्रता और मध्यम तापमान (25-30 डिग्री सेल्सियस) पर तेजी से फैलता है।
  • वर्षा ऋतु के दौरान और उसके तुरंत बाद इसका प्रकोप बढ़ जाता है।

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धान में तना छेदक के लक्षण | Paddy Stem Borer Symptoms

  1. तना छेदक के कारण पौधे का केंद्रीय हिस्सा सूख जाता है और पत्तियां मुरझा जाती हैं।
  2. बालियों में फूल निकलने के बाद तने में कीट के प्रकोप से बालियां सफेद और खाली रह जाती हैं।
  3. तना छेदक कीट तने में छोटे-छोटे छेद कर देते हैं।
  4. तना कमजोर होने के कारण पौधा झुकने लगता है और पौधे की पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं।
  5. तनों को काटने पर उनके अंदर इल्ली पाई जाती है और कुछ पौधे अच्छे होते हैं जबकि अन्य कमजोर और सूखे होते हैं।
  6. पौधे में फूल और बलिया नहीं आते या बहुत कम आते हैं और बालियां कमजोर और छोटी होती हैं।
  7. प्रभावित खेतों में पौधों की वृद्धि असमान होती है और तना छेदक के कारण धान के दानों का गिरना शुरू हो जाता है।

Mermithid parasitism of shoot borer (Conogethes punctiferalis) infesting  ginger and turmeric and its biocontrol potential - C. M. - 2018 - Annals of  Applied Biology - Wiley Online Library


धान में तना छेदक इल्ली की पहचान | How Do You Identify a Paddy Stem Borer?

  1. तना छेदक की लार्वा सफेद या हल्के पीले रंग की होती है।
  2. लार्वा का आकार लगभग 1 से 2 सेंटीमीटर लंबा होता है।
  3. तना छेदक की लार्वा तने के अंदर छेद करती है।
  4. तना छेदक के लार्वा का मुख नुकीला होता है।
  5. वयस्क तना छेदक के पंख हल्के पीले या भूरे रंग के होते हैं।
  6. वयस्क तना छेदक का पंख फैलाव लगभग 2 से 3 सेंटीमीटर होता है।
  7. मादा तना छेदक अपने अंडे पत्तियों के नीचे सफेद रंग के गुच्छों में देती है।
  8. तना छेदक के अंडे हल्के पीले या सफेद रंग के होते हैं।
  9. तना छेदक के लार्वा धान के तने के अंदर छिपकर रहते हैं।
  10. तना छेदक की मुख्य पहचान तने के अंदर सुरंग बनाना और उसे कमजोर करना है।

धान के तना छेदक का जीवन चक्र जानें सम्पूर्ण जानकारी | Paddy Stem Borer Life Cycle

  • अंडा अवस्था: मादा तना छेदक पत्तियों के नीचे सफेद या हल्के पीले रंग के अंडों का गुच्छा देती है। यह अंडे लगभग 4-5 दिनों में फूट जाते हैं।
  • लार्वा अवस्था: अंडों से निकलने के बाद लार्वा तने के अंदर घुसकर सुरंग बनाना शुरू करते हैं। यह अवस्था 20-25 दिनों तक चलती है और इसमें लार्वा तने को अधिकतम नुकसान पहुंचाते हैं।
  • ककून (प्यूपा) अवस्था: लार्वा के बाद, यह ककून अवस्था में प्रवेश करते हैं। यह अवस्था 7-10 दिनों तक रहती है।
  • वयस्क अवस्था: ककून से निकलने के बाद वयस्क तना छेदक अपने पंखों के साथ बाहर आते हैं और फिर से अपने जीवन चक्र को दोहराते हैं। वयस्क तना छेदक का जीवनकाल लगभग 10-12 दिनों का होता है।


धान में तना छेदक का जैविक नियंत्रण | Stem Borer Treatment

  1. फेरोमोन ट्रैप्स: फेरोमोन ट्रैप्स का उपयोग 10 नग प्रति एकड़ अनुसार करके तना छेदक की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
  2. प्राकृतिक कीट: तना छेदक के प्राकृतिक शत्रुओं जैसे ट्राइकोग्रामा कीट (Trichogramma insect) का उपयोग किया जा सकता है जो तना छेदक के अंडों को नष्ट कर देते हैं।
  3. जैविक कीटनाशक: नीम का तेल (Neem Oil 10000 ppm) 400 मिली प्रति एकड़ और बैसिलस थुरिनजिएन्सिस कीटनाशक 300 मिली प्रति एकड़ जैसे जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है जो तना छेदक को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
  4. फसल अवशेष प्रबंधन: खेत में फसल अवशेषों का सही ढंग से निपटान करने से तना छेदक की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
  5. पौधों की अंतरवर्तीय फसल: धान के साथ अंतरवर्तीय फसल जैसे मक्का या जौ उगाने से तना छेदक के प्रकोप को कम किया जा सकता है।

धान में तना छेदक के लिए कौन सी दवा डालें | Paddy Stem Borer Chemical Control

धान की फसल में तना छेदक कीटों के नियंत्रण के लिए (Best Insecticide for Stem Borer) बेस्ट कीटनाशक निम्न है –

  1. नागार्जुन फ्यूरी कीटनाशक (Nagarjuna Fury Insecticide) – 4 किलो प्रति एकड़ खाद में मिलाकर भुरकाव करें।
  2. बायर रेजेंट अल्ट्रा कीटनाशक (Bayer Regent Ultra Insecticide) – 4 किलो प्रति एकड़ खाद में मिलाकर भुरकाव करें।
  3. एफएमसी फटेरा कीटनाशक (FMC Ferterra Insecticide) – 4 किलो प्रति एकड़ खाद में मिलाकर भुरकाव करें।
  4. धानुका मार्कर सुपर कीटनाशक(Dhanuka Markar Super Insecticide) – 200 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें।
  5. सिंजेंटा एम्प्लिगो कीटनाशक (Syngenta Ampligo Insecticide) – 100 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें।
  6. एफएमसी कोराजन कीटनाशक (FMC Coragen Insecticide) – 60 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें।

नोट – उपरोक्त बताएं गए कीटनाशक में से किसी एक का धान की फसल में तना छेदक की समस्या अनुसार उपयोग करें।


सारांश:

धान की फसल पर तना छेदक (Stem Borer) एक प्रमुख कीट है जो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में कमी का कारण बनता है। यह कीट धान के तनों में सुरंग बनाकर पौधों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है और उपज घटती है। तना छेदक के कई प्रकार होते हैं, जैसे येलो, व्हाइट, और पिंक स्टेम बोरर। यह कीट फसल की प्रारंभिक अवस्था से लेकर कटाई तक किसी भी समय हमला कर सकता है।

तना छेदक का जीवन चक्र चार चरणों में होता है: अंडा, लार्वा, प्यूपा, और वयस्क। जैविक नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप्स, ट्राइकोग्रामा कीट, नीम का तेल, और बैसिलस थुरिनजिएन्सिस का उपयोग किया जा सकता है।

रासायनिक नियंत्रण (Dhan Me Tana Chedak Ki Dawa) के लिए, नागार्जुन फ्यूरी, बायर रेजेंट अल्ट्रा, एफएमसी फटेरा, धानुका मार्कर, सिंजेंटा एम्प्लिगो, और एफएमसी कोराजन जैसे कीटनाशक उपयोगी हैं। सही समय पर इन उपायों को अपनाने से तना छेदक के प्रकोप को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।


अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न

प्रश्न – तना छेदक (Stem Borer) क्या है?
उत्तर – तना छेदक एक कीट है जो धान के तनों में सुरंग बनाकर फसल को नुकसान पहुँचाता है।

प्रश्न – धान की फसल में तना छेदक से कितना नुकसान होता है?
उत्तर – तना छेदक के कारण धान की फसल में 40-50% तक उत्पादन में कमी हो सकती है।

प्रश्न – धान में तना छेदक कब सबसे अधिक प्रभावी होता है?
उत्तर – तना छेदक फसल की रोपाई के 3-4 सप्ताह बाद से लेकर फूल निकलने तक सक्रिय रहता है।

प्रश्न – तना छेदक के लक्षण क्या होते हैं?
उत्तर – तना छेदक से प्रभावित पौधों के तने में छेद, सूखी पत्तियाँ, और “डेडहार्ट” दिखाई देते हैं।

प्रश्न – तना छेदक की पहचान कैसे करें?
उत्तर – तना छेदक की पहचान तने में सुरंग बनाना और उसमें लार्वा का पाया जाना है।

प्रश्न – तना छेदक का जीवन चक्र क्या होता है?
उत्तर – तना छेदक का जीवन चक्र चार चरणों में होता है: अंडा, लार्वा, प्यूपा, और वयस्क।

प्रश्न – तना छेदक के जैविक नियंत्रण के उपाय क्या हैं?
उत्तर – जैविक नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप्स, ट्राइकोग्रामा कीट, नीम का तेल, और बैसिलस थुरिनजिएन्सिस का उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न – तना छेदक के रासायनिक नियंत्रण के लिए कौन-कौन सी दवाएं हैं?
उत्तर – तना छेदक के लिए नागार्जुन फ्यूरी, बायर रेजेंट अल्ट्रा, एफएमसी फटेरा, धानुका मार्कर, सिंजेंटा एम्प्लिगो, और एफएमसी कोराजन कीटनाशक उपयोगी हैं।

प्रश्न – धान में तना छेदक के लिए कौन सी दवा डालें?
उत्तर – धान में तना छेदक के लिए नागार्जुन फ्यूरी, बायर रेजेंट अल्ट्रा, एफएमसी फटेरा, धानुका मार्कर, सिंजेंटा एम्प्लिगो, और एफएमसी कोराजन का उपयोग करें।

प्रश्न – धान में तना छेदक कब लगता है?
उत्तर – धान में तना छेदक फसल की रोपाई के बाद 3 से 4 सप्ताह के भीतर आक्रमण करता है।

प्रश्न – तना छेदक का मुख्य लक्षण क्या है?
उत्तर – तना छेदक का मुख्य लक्षण पौधे का केंद्रीय हिस्सा सूख जाना और बालियों का सफेद हो जाना है।

प्रश्न – भारत में तना छेदक के लिए कौन सा कीटनाशक सबसे अच्छा है?
उत्तर – भारत में तना छेदक के लिए बायर रेजेंट अल्ट्रा और एफएमसी कोराजन सबसे अच्छे कीटनाशक माने जाते हैं।

प्रश्न – धान में तना छेदक की दवा ?
उत्तर – धान में तना छेदक की रोकथाम के लिए नागार्जुन फ्यूरी, बायर रेजेंट अल्ट्रा, एफएमसी फटेरा, और धानुका मार्कर का उपयोग करें।

प्रश्न – धान के तना छेदक का जीवन चक्र?
उत्तर – धान के तना छेदक का जीवन चक्र अंडा, लार्वा, प्यूपा, और वयस्क चार चरणों में होता है।

प्रश्न – धान में कोराजन का प्रयोग?
उत्तर – धान में तना छेदक के नियंत्रण के लिए एफएमसी कोराजन का उपयोग 60 मिली प्रति एकड़ की दर से करें।


Author – 

Durgaprasad Kewte


 

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