Matar Ki Kheti हरी मटर की खेती देगी 1 एकड़ में 70 क्विंटल उत्पादन
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Matar Ki Kheti: हरी मटर की खेती देगी 1 एकड़ में 70 क्विंटल उत्पादन जानें सम्पूर्ण जानकारी और स्मार्ट टिप्स
हरी मटर की खेती (Pisum sativum Crop) भारत में महत्वपूर्ण स्थान रखती है, क्योंकि यह सर्दियों की प्रमुख दलहन फसल है। यह फसल पोषक तत्वों से भरपूर होती है और इसमें प्रोटीन, फाइबर, और विटामिन्स की अच्छी मात्रा पाई जाती है। हरी मटर (Green Peas Crop) का उपयोग ताजे और सूखे रूप में किया जाता है, जिससे इसकी बाजार में भारी मांग रहती है। इसके उत्पादन से किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त होती है और यह फसल मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखती है। मटर की खेती (Matar Ki Kheti) सरल होती है और उचित देखभाल के साथ प्रति एकड़ 70 क्विंटल तक उत्पादन दिया जा सकता है।
फार्मर फोन कंपनी (FarmerPhone.Com) के माध्यम से इस ब्लॉग में हम हरी मटर की खेती (Green Pea Farming Information in Hindi) की बेस्ट किस्म, कीटों, रोगों और खरपतवार का नियंत्रण, खाद और उर्वरक प्रबंधन के साथ बुवाई की विधि, समय, मौसम, उत्पादन और खेती से होने वाले मुनाफे की सम्पूर्ण जानकारी के बारें मे जानेंगे।
भारत में सबसे ज्यादा हरी मटर की खेती (Green Peas Producing States in India)
हरी मटर की खेती भारत के लगभग सभी राज्यों में की जाती है, विशेषकर उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में। यह सर्दियों की फसल है, इसलिए ठंडे और उपोष्ण क्षेत्रों में इसका उत्पादन बेहतर होता है।
हरी मटर की खेती का समय (Green Pea Cultivation Time)
हरी मटर की बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से नवंबर के बीच होता है। यदि जल्दी बुवाई की जाए तो नवंबर के अंत तक फसल तैयार हो सकती है। वहीं देर से बुवाई करने पर मार्च तक फसल तैयार होती है।
हरी मटर की खेती के लिए मौसम और जलवायु (Green Peas Farming Climate)
हरी मटर की खेती के लिए शीतल और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। यह फसल 10-25 डिग्री सेल्सियस के तापमान में अच्छी तरह से बढ़ती है। इसके लिए 60 से 80 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। ज्यादा गर्मी और अत्यधिक ठंड (तुषार) से फसल को नुकसान हो सकता है।
हरी मटर की खेती के लिए खेत की तैयारी (Field Preparation for Green Pea Crop)
हरी मटर की खेती के लिए खेत की अच्छी तैयारी बहुत जरूरी है। सबसे पहले खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करनी चाहिए ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इसके बाद खेत को समतल कर लें और गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग करके मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाएं। खेत की जल निकासी की उचित व्यवस्था भी जरूरी है ताकि फसल में पानी का ठहराव न हो।
मटर की खेती के लिए मिट्टी (Soil for Pea Cultivation)
हरी मटर की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें उचित जल निकासी हो। मिट्टी का pH मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए। अत्यधिक क्षारीय या अम्लीय मिट्टी इस फसल के लिए उपयुक्त नहीं होती है।
हरी मटर की बेस्ट किस्म (Top Best Green Peas Variety)
1. सिजेंटा मुसियो मटर का बीज (Syngenta Mucio Peas Seeds)
इस किस्म की फलियाँ स्वादिष्ट, उच्च मिठास वाली होती है। प्रति फलियों मे दानों की संख्या 9-11 होती है, फलियाँ हरी कोमल और तुड़ाई बुवाई के 60 दिन बाद कर सकते है और यह उच्च उत्पादन देने वाली किस्म है।
2. एडवांटा जीएस 10 मटर के बीज (Advanta GS-10 Peas Seeds)
यह किस्म के पोधों की ऊंचाई मध्यम होती है और यह विभिन्न रोगों के प्रति सहनशील किस्म है, इस किस्म की फलियाँ हरी लंबी और आकर्षक होती है। प्रति फलियों मे दानों की संख्या 9-10 होती है तथा दाने स्वादिष्ट, मुलायम और मीठे होते हैं।
3. पाहुजा पीएस-1100 मटर के बीज (Pahuja PS-1100 Pea Seeds)
यह किस्म जल्दी परिपक्वता अवधि वाली है, फलियाँ लंबी, मजबूत, आकर्षक और प्रति फलियों मे दानों की संख्या 9-10 होती है। इस किस्म की बुवाई आप सभी मौसम और मिट्टी मे कर सकते है। यह किस्म मटर के विभिन्न ओर प्रमुख रोगों के प्रति सहनशील है।
4. अजीत एएस-101 हरी मटर के बीज (Ajeet AS-101 Green Pea Seeds)
यह किस्म के मटर के दाने गहरे हरे रंग के होते है, फलियों की लंबाई ज्यादा होती है और दानें मुलायम, आकर्षक, स्वादिष्ट और मीठे होते है। यह किस्म लंबी दूरी वाले बाजार के लिए बेस्ट है और यह कीटों एवं रोगों के प्रति सहनशील किस्म है।
5. हाइवेग सुपर गोल्डी मटर बीज (Hyveg Super Goldie Pea Seeds)
यह कम लागत मे ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्म है, मटर के बीजों की अंकुरण क्षमता ज्यादा होती है जिससे अंकुरण दर बढ़ती है जिससे प्रति एकड़ बीज की मात्रा कम लगती है, इस किस्म की फलियाँ लंबी ओर प्रति फलियों मे दानों की संख्या 8-9 होती है।
हरी मटर की खेती के बीज दर प्रति एकड़ (Green Pea Seed Rate Per Acre)
हरी मटर की खेती के लिए प्रति एकड़ 10-15 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीज की दर किस्म और मिट्टी की उपजाऊ क्षमता के आधार पर तय की जाती है। बुवाई से पहले बीज को जैविक उपचार से जरूर गुजारें ताकि बीमारियों का खतरा कम हो।
हरी मटर के बीज की बुवाई सीधी पंक्तियों में की जाती है। पंक्तियों के बीच की दूरी 30 से 40 सेंटीमीटर रखी जाती है, जबकि पौधों के बीच की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए। बुवाई के 7-10 दिन के भीतर अंकुरण शुरू हो जाता है।
मटर की फसल में खाद और उर्वरक प्रबंधन (Best Fertilizer for Green Peas Crop)
मटर की फसल के लिए सही खाद और उर्वरक प्रबंधन करना आवश्यक है ताकि उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार हो सके। सही पोषक तत्वों का अनुप्रयोग मटर की फसल के विकास, वृद्धि और फसल की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करता है।
- भूमि तैयारी की तैयारी करते समय 10-15 टन गोबर की खाद (अधिकतम) प्रति एकड़ अनुसार उपयोग करें।
- 40 किलोग्राम डीएपी खाद और 60 किलोग्राम एमओपी प्रति एकड़ की दर से बुवाई के समय डालें।
- बुवाई के 20 दिन बाद एनपीके 12:32:16 खाद और यूरिया 30 किलो प्रति एकड़ अनुसार उपयोग करें।
- मटर की फूलों वाली अवस्था मे जिंक 5 किलोग्राम, बोरॉन 1 किलोग्राम, सल्फर 4 किलोग्राम और एनपीके 10:26:26 खाद 40 किलो प्रति एकड़ अनुसार उपयोग करें।
मटर की फसल में खरपतवार का नियंत्रण (Best Herbicide for Green Pea Crop)
खरपतवार हरी मटर की फसल के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिए हाथ से निराई-गुड़ाई करें या हर्बिसाइड जैसे पेंडीमेथालिन 1 लीटर प्रति एकड़ बुवाई के पहले या बुवाई के तुरंत बाद इस्तेमाल करें। फसल बुवाई के 2-3 सप्ताह बाद निराई करनी चाहिए।
खरपतवारनाशी के नाम | प्रोडक्ट कंटेंट | खरपतवार का नियंत्रण | उपयोग मात्रा/एकड़ |
बीएएसएफ परस्यूट खरपतवारनाशी | इमेजेथापायर 10% एसएल | सभी प्रकार के खरपतवार | 300 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें । |
बीएएसएफ बासाग्रान खरपतवारनाशी | बेंटाजोन 48% एसएल | सभी प्रकार के खरपतवार | 600 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें । |
धानुका टरगा सुपर खरपतवारनाशी | क्विज़ालोफ़ॉप इथाइल 5% ईसी | संकरी पत्ती वाले खरपतवार | 300 मिली प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें । |
पारिजात तसर खरपतवारनाशी | इमाज़ेथापायर 35% + इमाज़मॉक्स 35% डब्ल्यूजी | सभी प्रकार के खरपतवार | 40 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार छिड़काव करें । |
हरी मटर की फसल में कीटों का नियंत्रण (Insect Control in Green Pea Crop)
मटर की फसल में विभिन्न प्रकार के रस चूसक कीटों, इलियों और बोरर कीटों के समस्या आती है ओर यह फसल की गुणवत्ता तथा उत्पादन को प्रभावित करती है। मटर की फसल मे कीटों के नियंत्रण के लिए बेस्ट कीटनाशक (Best Insecticide for Green Pea Crop) और उपयोग मात्रा की सम्पूर्ण जानकारी जानें।
कीटों और इलियों के नाम | कीटनाशक के नाम | उपयोग मात्रा/एकड़ |
माहू (Aphid Insect) | यूपीएल लांसर गोल्ड कीटनाशक | 400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार फसल मे छिड़काव करें। |
लीफ माइनर (Leafminers Insect) | एफएमसी बेनेविया कीटनाशक | 200 मिली प्रति एकड़ अनुसार फसल मे छिड़काव करें। |
थ्रिप्स (Thrips Insect) | धानुका फैक्स कीटनाशक | 400 मिली प्रति एकड़ अनुसार फसल मे छिड़काव करें। |
फली छेदक (Pod Borer Insect) | एफएमसी कोराजन कीटनाशक | 60 मिली प्रति एकड़ अनुसार फसल मे छिड़काव करें। |
तंबाकू इल्ली (Tobacco Caterpillar) | क्रिस्टल प्रोक्लेम कीटनाशक | 100 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार फसल मे छिड़काव करें। |
तना मक्खी (Stem Fly Insect) | सिंजेंटा अलिका कीटनाशक | 80 मिली प्रति एकड़ अनुसार फसल मे छिड़काव करें। |
हरी मटर की फसल में रोगों का नियंत्रण (Disease Control in Green Pea Crop)
हरी मटर की फसल में कई तरह के फफूंद जनित और बैक्टीरियल रोगों का प्रकोप होता है जो उपज और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं। मटर मे रोगों को नियंत्रित के लिए बेस्ट फफूँदनाशक ((Best Fungicide for Green Pea Crop) का उपयोग करना आवश्यक होता है।
रोगों का नाम | फफूँदनाशक के नाम | उपयोग मात्रा/एकड़ |
उखटा रोग (Wilt Disease) | बायोस्टैड रोको फफूंदनाशी | 400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार उपयोग करें। |
रस्ट रोग (Rust Disease) | इंडोफिल अवतार फफूँदनाशी | 300 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार उपयोग करें। |
पाउडरी मिल्ड्यू रोग (Powdery Mildew Disease) | यूपीएल एवांसर ग्लो फफूंदनाशक | 400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार उपयोग करें। |
जड़ सड़न रोग (Root Rot Disease) | धानुका धानुस्टीन फफूंदनाशक | 200 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार उपयोग करें। |
लीफ स्पॉट रोग (Leaf Spot Disease) | सिंजेंटा रिडोमिल गोल्ड फफूंदनाशक | 300 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार उपयोग करें। |
बैक्टीरियल झुलसा रोग (Bacterial Blight Disease) | धानुका कोनिका फफूंदनाशक | 400 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार उपयोग करें। |
हरी मटर की फसल की तुड़ाई और समय (Green Pea Harvesting)
हरी मटर की फसल बुवाई के हरी फलिया 45 से 60 दिन मे और फसल की सम्पूर्ण परिपक्वता 90 से 100 दिन बाद तैयार हो जाती है। जब फली पूरी तरह से विकसित हो जाए और दानों में उचित नमी हो, तभी तुड़ाई करें। मटर की तुड़ाई का सही समय फली के पकने पर निर्भर करता है।
हरी मटर का प्रति एकड़ उत्पादन (Green Pea Production Per Acre)
उचित देखभाल और उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करने पर प्रति एकड़ 60 से 70 क्विंटल तक हरी मटर का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। उत्पादन किस्म और क्षेत्रीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
सारांश:
हरी मटर की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है। यह फसल सर्दियों में प्रमुख फसल होती है और इसका उपयोग ताजे एवं सूखे रूप में किया जाता है। मटर की उन्नत किस्मों और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके प्रति एकड़ 70 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। सही समय पर बीज बुवाई, खाद का उचित प्रयोग, और कीट-रोग नियंत्रण से उच्च गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त होती है।
आशा करते है की Farmer Phone Company के माध्यम से दी गई जानकारी आप के लिए फायदेमंद साबित होगी और आप मटर की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सको।
अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न
प्रश्न – मटर बोने का सही समय क्या है?
उत्तर – मटर की बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से नवंबर के बीच होता है।
प्रश्न – मटर की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है?
उत्तर – मटर की फसल 60 से 90 दिन में तैयार हो जाती है, बुवाई के समय पर निर्भर करते हुए।
प्रश्न – मटर की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है?
उत्तर – सिजेंटा मुसियो मटर और एडवांटा जीएस 10 मटर की बेहतरीन किस्में मानी जाती हैं।
प्रश्न – अगेती मटर की बुवाई कब की जाती है?
उत्तर – अगेती मटर की बुवाई सितंबर के अंत से अक्टूबर की शुरुआत में की जाती है।
प्रश्न – मटर की खेती सबसे ज्यादा कहां होती है?
उत्तर – मटर की खेती भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, और हरियाणा में सबसे ज्यादा होती है।
प्रश्न – मटर की खेती में कौन सी खाद डालें?
उत्तर – मटर की फसल के लिए गोबर की खाद, डीएपी और एनपीके खाद का उपयोग करना चाहिए।
प्रश्न – हरी मटर की खेती का सबसे उपयुक्त समय क्या है?
उत्तर – अक्टूबर से नवंबर के बीच हरी मटर की बुवाई का सबसे अच्छा समय है।
प्रश्न – हरी मटर की बेस्ट किस्म कौन-सी है?
उत्तर – सिजेंटा मुसियो, एडवांटा जीएस 10, और हाइवेग सुपर गोल्डी बेहतरीन किस्में हैं।
प्रश्न – हरी मटर की बुवाई के लिए प्रति एकड़ बीज दर कितनी होती है?
उत्तर – प्रति एकड़ 10-15 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
प्रश्न – हरी मटर की खेती के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी है?
उत्तर – दोमट मिट्टी, जिसका PH मान 6 से 7 के बीच हो, सबसे उपयुक्त होती है।
प्रश्न – हरी मटर की फसल में कौन-से प्रमुख कीट होते हैं?
उत्तर – माहू, लीफ माइनर, थ्रिप्स, और फली छेदक प्रमुख कीट हैं।
प्रश्न – हरी मटर की फसल में खाद और उर्वरक कैसे प्रयोग करें?
उत्तर – बुवाई के समय 40 किलोग्राम डीएपी और 60 किलोग्राम एमओपी का प्रयोग करें।
प्रश्न – हरी मटर की फसल में कौन-से रोग आम होते हैं?
उत्तर – उखटा रोग, रस्ट रोग, और पाउडरी मिल्ड्यू रोग प्रमुख रोग हैं।
प्रश्न – हरी मटर की तुड़ाई का समय कब होता है?
उत्तर – बुवाई के 45 से 60 दिनों में हरी फलियाँ तैयार हो जाती हैं।
प्रश्न – हरी मटर की खेती से प्रति एकड़ कितनी पैदावार हो सकती है?
उत्तर – प्रति एकड़ 70 क्विंटल तक हरी मटर की पैदावार हो सकती है।
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