Mycorrhiza All Information: माइकोराइजा का महत्त्व, प्रकार, उपयोग, कीमत के साथ सम्पूर्ण जानकारी
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Mycorrhiza All Information: माइकोराइजा का महत्त्व, प्रकार, उपयोग, कीमत के साथ सम्पूर्ण जानकारी
कृषि के क्षेत्र में, माइकोराइजा एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में उभरकर सामने आया है। यह एक प्रकार का कवक (फंगस) है, जो पौधों की जड़ों के साथ सहजीविता करता है और उन्हें आवश्यक पोषण, बेहतर विकास, और रोगों से बचाने में मदद करता है।
Farmer Phone Company (Farmer Phone.com) के माध्यम से इस ब्लॉग में, हम विस्तार से समझेंगे कि (Mycorrhiza All Information in Hindi) फसलों के लिए माइकोराइजा क्यों आवश्यक है, इसके क्या फायदे हैं, यह कैसे काम करता है, और इसे किस प्रकार से कृषि में अपनाया जा सकता है।
माइकोराइजा क्या है? | What is Mycorrhiza?
माइकोराइजा एक विशेष प्रकार का कवक है जो पौधों की जड़ों के साथ सहजीविता करता है। “माइकोराइजा” शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा से हुई है, जहाँ “माइको” का मतलब कवक और “राइजा” का मतलब जड़ होता है। यह कवक पौधों की जड़ों के साथ जुड़कर एक सहजीवी संबंध बनाता है, जिसमें पौधा और कवक दोनों एक-दूसरे के विकास और पोषण में सहायक होते हैं।
माइकोराइजा पौधों की जड़ों से जुड़े रहते हुए उन्हें आवश्यक पोषक तत्व जैसे फॉस्फोरस, नाइट्रोजन और पानी की उपलब्धता बढ़ाने में मदद करता है, वहीं इसके बदले में कवक पौधों से शर्करा और अन्य आवश्यक कार्बनिक पदार्थ प्राप्त करता है। इस सहजीवी संबंध के कारण पौधे बेहतर तरीके से विकसित होते हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
माइकोराइजा का यह अनूठा संबंध कृषि के क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल पौधों की वृद्धि और उपज को बढ़ाता है, बल्कि मृदा की उर्वरता को भी सुधारता है। इस प्रकार, माइकोराइजा का उपयोग आधुनिक कृषि पद्धतियों में एक आवश्यक घटक के रूप में किया जाता है।
माइकोराइजा के प्रकार | Types of Mycorrhiza
माइकोराइजा दो मुख्य प्रकार के होते हैं: एक्टोमाइकोराइजा और एंडोमाइकोराइजा। इन्हें इस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है कि फंगी पौधों पर कहाँ उपनिवेश बनाते हैं।
एक्टोमाइकोराइजा (Ectomycorrhiza)
- एक्टोमाइकोराइजा, जिसे EcM के नाम से भी जाना जाता है, आमतौर पर काष्ठीय पौधों (जैसे- बीच, बर्च, विलो, ओक, पाइन, फर और स्प्रूस) और Ascomycota, Basidiomycota, और Zygomycota से संबंधित फंगी के बीच संबंध विकसित करता है। लगभग 10% पौधों की प्रजातियों में एक्टोमाइकोराइजा संबंध पाए जाते हैं।
- एक्टोमाइकोराइजा एक हार्टिग नेट (Hartig net) बनाते हैं, जिसमें हाइफे जड़ के कॉर्टेक्स में पौधों की कोशिकाओं के चारों ओर घेर लेते हैं और एक हाइफल म्यान या आवरण जड़ के सिरे को ढक लेता है। “एक्टोएंडोमाइकोराइजा” उस माइकोराइजा को संदर्भित करता है जिसमें हाइफे पौधों की कोशिकाओं के भीतर प्रवेश करने की क्षमता रखता है।
- एक्टोमाइकोराइजा फंगस Laccaria bicolour के प्रति वसंत कीट आकर्षित होते हैं और मारे जाते हैं, जिससे नाइट्रोजन निकाला जाता है, जिसका कुछ हिस्सा माइकोराइजा होस्ट पौधे को स्थानांतरित किया जा सकता है।
एंडोमाइकोराइजा (Endomycorrhiza)
- एंडोमाइकोराइजा अधिकतर 80% पौधों की प्रजातियों में पाए जाते हैं, जिनमें ग्रीनहाउस और फसल पौधे जैसे सब्जियां, फूल, घास, और फलदार पेड़ शामिल हैं। फंगस द्वारा वेसिकल्स और आर्बस्क्यूल्स का उत्पादन और उनका पौधों की कॉर्टिकल कोशिकाओं में प्रवेश एंडोमाइकोराइजा संबंधों की विशेषता है।
- एंडोमाइकोराइजा के कई प्रकार होते हैं, जिनमें आर्बस्क्यूलर, आर्बुटोइड, एरिकोइड, मोनोट्रोपोइड और ऑर्किड माइकोराइजा शामिल हैं।
आर्बस्क्यूलर माइकोराइजा (Arbuscular Mycorrhiza)
आर्बस्क्यूलर माइकोराइजा, जिसे AMF के नाम से भी जाना जाता है, में सिम्बायोटिक फंगस पौधों की जड़ों की कॉर्टिकल कोशिकाओं तक पहुंचता है और वहां आर्बस्क्यूल्स का उत्पादन करता है। केवल Glomeromycota डिवीजन के फंगस ही आर्बस्क्यूलर माइकोराइजा बना सकते हैं।
एरिकोइड माइकोराइजा (Ericoid Mycorrhiza)
एरिकोइड माइकोराइजा में एरिकेसिए (Ericaceae) पौधे और विभिन्न माइकोराइज़ल फंगस एक साथ मिलकर सहजीवी संबंध बनाते हैं। यह दिखाया गया है कि एरिकोइड माइकोराइजा उच्च रूप से सैप्रोट्रोफिक होते हैं, जिससे पौधे अपने एरिकोइड सहयोगियों की विघटन गतिविधियों के माध्यम से अभी भी विघटन सामग्री से पोषक तत्व प्राप्त कर सकते हैं।
मोनोट्रोपोइड माइकोराइजा (Monotropoid Mycorrhiza)
यह प्रकार ऑर्किडेसिए (Orchidaceae) और एरिकेसिए (Ericaceae) उपपरिवार मोनोट्रोपोइडिए (Monotropoideae) के विभिन्न जीनसों में पाया जाता है। ये पौधे अपने फंगस साथी से कार्बन प्राप्त करते हैं और हेटरोट्रोफिक या मिक्सोट्रोफिक होते हैं। इसलिए, इस प्रकार का माइकोराइज़ल संबंध परजीवी और असहजीवी होता है।
ऑर्किड माइकोराइजा (Orchid Mycorrhiza)
प्रत्येक ऑर्किड अपने जीवन चक्र के किसी न किसी चरण में माइको-हेटरोट्रोफिक वृद्धि से गुजरता है और विभिन्न बेसिडियोमाइसीट फंगस के साथ ऑर्किड माइकोराइजा बनाता है। उनके हाइफे जड़ कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं और पोषण का आदान-प्रदान करने के लिए पेलोटन (गुच्छे) बनाते हैं।
माइकोराइजा के कार्य और लाभ | Mycorrhiza Use Benefits in Hindi
- फॉस्फोरस अवशोषण में सहायता: माइकोराइजा फफूंद पौधों की जड़ों के साथ सहजीवी संबंध बनाकर फॉस्फोरस को घुलनशील रूप में परिवर्तित करता है, जिससे पौधे इसे आसानी से अवशोषित कर सकते हैं। यह पौधों की जड़ों, फूलों और फलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- नाइट्रोजन अवशोषण में सुधार: नाइट्रोजन पौधों के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो प्रोटीन और क्लोरोफिल के निर्माण में सहायक होता है। माइकोराइजा पौधों की जड़ों में नाइट्रोजन के अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे उनकी वृद्धि और स्वास्थ्य बेहतर होता है।
- जल अवशोषण और सूखा सहनशीलता: माइकोराइजा पौधों की जड़ों को विस्तारित करता है, जिससे वे मिट्टी में निहित नमी को अधिक कुशलता से अवशोषित कर सकते हैं। यह पौधों को सूखे के समय में भी जीवित रहने और बेहतर उपज देने में मदद करता है।
- मिट्टी की संरचना में सुधार: माइकोराइजा मिट्टी की संरचना को स्थिर करता है, जिससे मिट्टी का क्षरण कम होता है और जल धारण क्षमता बढ़ती है। यह मिट्टी के कणों को एक साथ जोड़कर उसकी उर्वरता में वृद्धि करता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: माइकोराइजा पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे वे जड़ रोगों और अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों से सुरक्षित रहते हैं। इससे फसल की उत्पादकता में सुधार होता है।
- उर्वरक उपयोग की दक्षता: माइकोराइजा के कारण पौधों को पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है, जिससे कम उर्वरक का उपयोग कर अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इससे न केवल उर्वरक की लागत में कमी आती है, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- पौधों की वृद्धि और पैदावार: माइकोराइजा के उपयोग से पौधों की वृद्धि दर और पैदावार में वृद्धि होती है, जिससे किसानों को बेहतर उपज मिलती है। यह न केवल फसल की गुणवत्ता को सुधारता है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि करता है।
माइकोराइजा का कार्य करने का तरीका | How Does Mycorrhizae Work
माइकोराइजा एक प्रकार का फंगस है जो पौधों की जड़ों के साथ सहजीवी संबंध स्थापित करता है, जिससे पौधों को महत्वपूर्ण पोषक तत्व और जल प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं कि यह कैसे कार्य करता है:
- स्पोर्स का अंकुरण: माइकोराइजा के स्पोर्स मिट्टी में फैले होते हैं। जब ये स्पोर्स पौधों की जड़ों के संपर्क में आते हैं, तो वे अंकुरित होते हैं और एक नए फंगस संरचना का निर्माण करते हैं।
- जड़ों में प्रवेश: माइकोराइजा का फंगस जड़ों की ऊपरी परत में प्रवेश करता है और जड़ों के अंदर एक जाल सा बना देता है। इस जालीदार संरचना को हाइफा कहते हैं, जो पौधों की जड़ों के साथ एक घनिष्ठ संबंध स्थापित करती है।
- पोषक तत्वों की आपूर्ति: माइकोराइजा की हाइफा जड़ों की कोशिकाओं से जुड़े रहते हैं और मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों जैसे फॉस्फोरस, नाइट्रोजन, और सूक्ष्म पोषक तत्वों को पौधों तक पहुंचाते हैं। ये पोषक तत्व पौधों के समुचित विकास के लिए आवश्यक होते हैं।
- जल की आपूर्ति: माइकोराइजा की जड़ संरचना मिट्टी में गहराई तक फैली रहती है, जिससे पौधे अधिक मात्रा में जल अवशोषित कर सकते हैं। यह विशेष रूप से सूखा के समय पौधों के लिए फायदेमंद होता है।
- कार्बनिक पदार्थों का आदान-प्रदान: बदले में, माइकोराइजा पौधों से शर्करा और अन्य कार्बनिक पदार्थ प्राप्त करता है। ये पदार्थ फंगस के लिए ऊर्जा का स्रोत होते हैं, जो इसके विकास और कार्य करने में मदद करते हैं।
- मिट्टी में फैलाव: माइकोराइजा की हाइफा मिट्टी में फैल जाती हैं, जिससे पौधों की जड़ों को और अधिक क्षेत्र में पोषक तत्व और जल प्राप्त होते हैं। इस प्रकार, यह पौधों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण सहायक बन जाता है।
इस प्रकार, माइकोराइजा पौधों के लिए एक अनिवार्य सहयोगी है, जो उनके पोषण, जल आपूर्ति और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह कृषि में फसल की उत्पादकता बढ़ाने और मिट्टी की उर्वरता को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सारांश:
माइकोराइजा का कृषि में महत्वपूर्ण स्थान है। इसके उपयोग से न केवल फसल उत्पादन में वृद्धि होती है, बल्कि यह पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। माइकोराइजा का सही उपयोग करने से किसानों को लाभ होता है और उनकी फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसलिए, माइकोराइजा को खेती में अपनाना एक स्मार्ट और टिकाऊ कृषि प्रथा के रूप में देखा जा सकता है। इस प्रकार, माइकोराइजा न केवल फसलों के पोषण में सुधार करता है, बल्कि किसानों की आय और फसल की गुणवत्ता में भी वृद्धि करता है।
अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न :
प्रश्न – माइकोराइजा क्या काम करता है?
उत्तर – माइकोराइजा पौधों की जड़ों से जुड़कर फॉस्फोरस और नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ाता है और पानी की उपलब्धता में सुधार करता है।
प्रश्न – सबसे अच्छा माइकोराइजा कौन सा है?
उत्तर – सबसे अच्छा माइकोराइजा उन पौधों के लिए उपयुक्त होता है जो उस विशेष फंगस के साथ सहजीवी संबंध बना सकते हैं, जैसे आर्बस्क्यूलर माइकोराइजा (AMF) फसलों के लिए प्रभावी है।
प्रश्न – माइकोराइजा कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर – माइकोराइजा मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं: एक्टोमाइकोराइजा और एंडोमाइकोराइजा, जो विभिन्न पौधों में उपनिवेशित होते हैं।
प्रश्न – माइकोराइजा क्या है और इसका कार्य क्या है?
उत्तर – माइकोराइजा एक प्रकार का कवक है जो पौधों की जड़ों से जुड़कर पोषक तत्वों और पानी का अवशोषण बढ़ाता है, और पौधों को रोगों से भी बचाता है।
प्रश्न – मायकोराजा का उपयोग कैसे करें?
उत्तर – माइकोराइजा को बीजों या पौधों की जड़ों के पास मिट्टी में मिलाकर या मिट्टी में शामिल करके उपयोग किया जाता है ताकि पौधों के विकास को बेहतर बनाया जा सके।
प्रश्न – माइकोराइजा कहां से आता है?
उत्तर – माइकोराइजा सामान्यतः मिट्टी में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है और इसे वाणिज्यिक उत्पादों के रूप में भी खरीदा जा सकता है।
प्रश्न – माइकोराइजा पौधों को कैसे लाभ पहुंचाते हैं?
उत्तर – माइकोराइजा पौधों को पोषक तत्वों जैसे फॉस्फोरस और नाइट्रोजन, जल, और मिट्टी की संरचना में सुधार करके लाभ पहुंचाते हैं।
प्रश्न – माइकोराइजा कृषि में क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर – माइकोराइजा कृषि में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पौधों की वृद्धि, उर्वरता, और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करता है, जिससे फसल की उत्पादकता बढ़ती है।
प्रश्न – माइकोराइजा पौधे की वृद्धि को कैसे बढ़ावा देता है?
उत्तर – माइकोराइजा पौधों की जड़ों के साथ मिलकर पोषक तत्वों और पानी की उपलब्धता बढ़ाता है, जिससे पौधों की वृद्धि और उपज में सुधार होता है।
प्रश्न – माइकोराइजा के क्या लाभ हैं?
उत्तर – माइकोराइजा पौधों की वृद्धि बढ़ाता है, सूखा सहनशीलता सुधारता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है।
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