Vegetables to Grow in September in India: सितंबर में करें टॉप 5 सब्जियों की खेती होगा लाखों का फायदा।
कृषि ब्लॉग: फसल समस्या समाधान | Agriculture Blog in Hindi
Vegetables to Grow in September in India: सितंबर में करें टॉप 5 सब्जियों की खेती होगा लाखों का फायदा।
सितंबर का महीना भारतीय किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह वह समय होता है जब मानसून धीरे-धीरे विदा ले रहा होता है और मौसम ठंडा होने लगता है। इस समय का सही उपयोग करके किसान अपनी फसलों से बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। यदि आप सोच रहे हैं कि सितंबर में कौन सी सब्जी लगाए और जल्दी तैयार होने वाली फसल कौन सी है, (Vegetables to Grow in September in India) तो यहां फार्मर फोन कंपनी (Farmer Phone Company) आपको टॉप 5 सब्जियों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी बता रहे हैं जिन्हें आप इस सितंबर महीने में लगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
ब्रोकली की खेती | Broccoli Farming in India
ब्रोकली (Broccoli) एक पौष्टिक सब्जी है, जो अपने उच्च पोषण मूल्य के लिए जानी जाती है। इसमें विटामिन सी, विटामिन के, फाइबर, आयरन, और पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। भारत में सितम्बर के महीने में ब्रोकली की खेती मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, और जम्मू-कश्मीर में की जाती है।
ब्रोकली की खेती के लिए मिट्टी | Broccoli Cutivation Soil
ब्रोकली की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने के लिए जैविक खाद का उपयोग किया जा सकता है।
ब्रोकली की टॉप किस्म | Top Broccoli Variety
- नोन यू सीड्स शिशिर एफ1 हाइब्रिड ब्रोकोली
- सकाटा ग्रीन मैजिक ब्रोकोली बीज
- नामधारी ब्रोकोली हाइब्रिड सीड्स
- सेमिनिस शेवेलियर ब्रोकली बीज
- एचएम क्लॉज फैंटेसी एफ1 ब्रोकोली बीज
ब्रोकली की खेती के लिए बीज की मात्रा | Seed Rate of Broccoli Crop
ब्रोकली की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए आप 120 से 150 ग्राम प्रति एकड़ अनुसार बीज का उपयोग का उपयोग करना चाहियें ।
ब्रोकली की फसल में खाद और उर्वरक | Broccoli Crop Fertilizer Management
- गोबर की खाद: 10-15 टन प्रति एकड़ खेत की तैयारी के समय।
- नाइट्रोजन (N): 50-60 किलोग्राम प्रति एकड़, दो बार में विभाजित।
- फॉस्फोरस (P2O5): 30-40 किलोग्राम प्रति एकड़, खेत की तैयारी के समय।
- पोटाश (K2O): 30-40 किलोग्राम प्रति एकड़, खेत की तैयारी के समय।
ब्रोकली में कीटों और रोगों की समस्या | Broccoli Crop Pest and Disease
- ब्रोकली फसल में प्रमुख कीट – डायमंडबैक मोथ (Diamond Back Moth), लीफ वेबर (Leaf Webber) एफिड्स (Aphids), हेड बोरर (Head Borer), कैटरपिलर (Caterpillar), लीफ माइनर (Leaf Miner), दीमक (Termites) आदि और अन्य कीटों की समस्या।
- ब्रोकली फसल में प्रमुख रोग – उकठा रोग (Wilt Disease), डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew Disease), झुलसा रोग (Blight Disease), ब्लैक रॉट (Black Rot), पत्ती धब्बा रोग (Alternaria leaf spot Disease), डम्पिंग ऑफ (Damping Off Disease) आदि और अन्य रोगों की समस्या।
ब्रोकली की कटाई और उत्पादन | Broccoli Production Per Acre
- ब्रोकली की फसल की कटाई तब की जाती है जब ब्रोकली का फूल 10-15 सेमी व्यास का हो जाता है और फूल सघन होते हैं।
- कटाई का उचित समय तब होता है जब फूल का रंग गहरे हरे रंग का होता है। आमतौर पर, बुवाई के 75-90 दिन बाद कटाई की जाती है।
- ब्रोकली की फसल का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 80-100 क्विंटल हो सकता है, जो कि कृषि तकनीकों, जलवायु, और खेती की प्रथाओं पर निर्भर करता है। बेहतर देखभाल और उन्नत खेती के तरीकों से उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।
हरी मटर की खेती | Green Pea Farming in India
हरी मटर की खेती का समय मुख्य रूप से सितंबर-अक्टूबर के महीनों में होता है। इस समय भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में हरी मटर की खेती व्यापक रूप से की जाती है। इन राज्यों में इस समय का मौसम मटर की बुवाई के लिए उपयुक्त होता है।
हरी मटर की खेती के लिए मिट्टी का चयन | Green Cultivation Soil
हरी मटर की खेती के लिए दोमट मिट्टी, बलुई दोमट मिट्टी, और चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए ताकि पौधों को पोषक तत्वों का सही रूप से उपयोग करने में मदद मिल सके।
हरी मटर की टॉप किस्म | Top Green Pea Variety
- एडवांटा जीएस 10 मटर की किस्म
- धान्या ग्रीन पर्ल मटर की किस्म
- जेंटेक्स स्टार 10 मटर की किस्म
- पाहुजा मैक्सिमा 3636 मटर की किस्म
- शाइन SS 10 मटर की किस्म
- बायोसीड्स 10 हरी मटर की किस्म
हरी मटर की खेती के लिए बीज की मात्रा | Seed Rate of Pea Crop
मटर की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए आप 20 से 25 किलो प्रति एकड़ अनुसार बीज का उपयोग करना चाहिए ।
मटर में खाद और उर्वरक की मात्रा | Green Pea Crop Fertilizer Management
- गोबर की खाद: 8-10 टन (जुताई के समय)
- नाइट्रोजन (N): 15-20 किलोग्राम (बुवाई 20 से 30 के अन्दर)
- फास्फोरस (P2O5): 40-50 किलोग्राम (बुवाई के समय)
- पोटाश (K2O): 20-25 किलोग्राम (बुवाई के समय)
मटर की फसल में कीटों और रोगों की समस्या | Green Pea Crop Pest and Disease
- मटर फसल में प्रमुख कीट – एफिड्स (Aphids), जसिड्स (Jassids), पॉड बोरर (Pod Borer), कैटरपिलर (Caterpillar), लीफ माइनर (Leaf Miner), तना मक्खी (Stem Fly) आदि और अन्य कीटों की समस्या।
- मटर फसल में प्रमुख रोग – उकठा रोग (Wilt), पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew), रस्ट (Rust), झुलसा रोग (Blight Disease), जड़ सड़न रोग (Root Rot) आदि और अन्य रोगों की समस्या।
हरी मटर की तुड़ाई और उत्पादन | Green Pea Production Per Acre
- हरी मटर की फसल में आमतौर पर बुवाई के 70-90 दिन बाद तुड़ाई की जाती है।
- हरी मटर की फसल का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 10-12 क्विंटल हो सकता है, बशर्ते फसल की देखभाल और खेती के तरीकों का पालन सही तरीके से किया जाए।
- उत्पादन की मात्रा किस्म, मिट्टी, जलवायु, और देखभाल पर निर्भर करती है।
आलू की खेती | Potato Farming in India
भारत में, आलू की खेती मुख्य रूप से रबी (सर्दियों) के मौसम में की जाती है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में खरीफ (बरसात) के मौसम में भी इसकी खेती होती है। आलू में कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन सी और बी6 की भरपूर मात्रा होती है, जो इसे एक पौष्टिक भोजन बनाती है।
सितम्बर में आलू की खेती मुख्य रूप से उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में की जाती है, जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं। इन क्षेत्रों में जलवायु और मिट्टी आलू की खेती के लिए उपयुक्त होती है, जिससे फसल का उत्पादन अच्छा होता है।
आलू की खेती के लिए मिट्टी का चयन | Potato Cultivation Soil
आलू की खेती के लिए दोमट मिट्टी (Loamy soil) सबसे उपयुक्त होती है। यह मिट्टी अच्छे जल निकास (drainage) वाली होनी चाहिए ताकि पानी का ठहराव न हो। दोमट मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो पौधों को पोषक तत्व प्रदान करते हैं। pH मान 5.2 से 6.5 के बीच होना चाहिए।
आलू की टॉप किस्म | Top Potato Variety
- कुफरी सिन्धुरी आलू की किस्म
- कुफरी चन्द्रमुखी आलू की किस्म
- कुफरी ज्योति आलू की किस्म
- कुफरी लवकर आलू की किस्म
- कुफरी बादशाह आलू की किस्म
आलू की खेती के लिए प्रति एकड़ बीज की मात्रा | Seed Rate of Potato Crop
आलू की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए आप को छोटे आकर के आलू के बीज 5 से 6 क्विंटल और बड़े आकर के आलू के बीज 8-10 क्विंटल प्रति एकड़ अनुसार बीज का उपयोग करना चाहियें। यह बीज दर कंद के आकार और किस्म के आधार पर भिन्न हो सकती है।
आलू की फसल में खाद और उर्वरक की मात्रा | Potato Crop Fertilizer Management
- गोबर खाद या कम्पोस्ट: 10-15 टन प्रति एकड़ (खेत की तैयारी के समय)।
- नाइट्रोजन (N): 60-80 किलोग्राम प्रति एकड़ (2-3 बार में, 50% रोपाई के समय और शेष 50% एक महीने बाद)।
- फॉस्फोरस (P2O5): 40-50 किलोग्राम प्रति एकड़ (रोपाई के समय)।
- पोटाश (K2O): 50-60 किलोग्राम प्रति एकड़ (रोपाई के समय)।
आलू की फसल में कीटों और रोगों की समस्या | Potato Pest and Disease
- आलू में प्रमुख कीट – माहू (Aphids), जैसिड (Jassids), फ्रूट बोरर (Fruit Borer), कैटरपिलर (Caterpillar), लीफ माइनर (Leaf Miner),सफेद मक्खी (Whitefly), थ्रिप्स (Thrips) अलू का कंद बेधक (Potato Tuber Moth) आदि और अन्य कीटों की समस्या।
- आलू में प्रमुख रोग – उकठा रोग (Wilt), पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew), रस्ट (Rust), झुलसा रोग (Blight Disease), अगेती झुलसा (Early Blight), पछेती झुलसा (Late Blight), अल्टरनेरिया पत्ती झुलसा (Alternaria Leaf Blight), ब्लैक स्कर्फ (Black Scurf), जड़ सड़न रोग (Root Rot), बैक्टीरियल विल्ट (Bacterial Wilt) आदि और अन्य रोगों की समस्या।
आलू कटाई और उत्पादन | Potato Production Per Acre
- आलू की फसल की कटाई तब की जाती है जब पौधों की पत्तियाँ और तना पूरी तरह से सूख जाएं। कटाई के समय कंद का आकार पूरा होना चाहिए और उसकी बाहरी त्वचा सख्त होनी चाहिए। कटाई के बाद कंदों को कुछ समय के लिए धूप में सुखाया जाता है।
- आलू की फसल का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 120-200 क्विंटल होता है। उत्पादन कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि किस्म, कृषि प्रबंधन, जलवायु, और मिट्टी की गुणवत्ता।
लहसुन की खेती | Garlic Farming in India
लहसुन (Garlic) एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है, जिसका उपयोग भारतीय रसोई में व्यापक रूप से किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Allium sativum है। लहसुन की खेती मुख्य रूप से इसकी कंदों के लिए की जाती है, जिनका उपयोग खाद्य पदार्थों में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, लहसुन का औषधीय उपयोग भी बहुत महत्वपूर्ण है।
लहसुन की खेती भारत के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, और हिमाचल प्रदेश में की जाती है। सितंबर का महीना इन क्षेत्रों में लहसुन की खेती के लिए उपयुक्त होता है, जब तापमान और नमी की स्थिति बेहतर होती है।
लहसुन की खेती के लिए मिट्टी का चयन | Garlic Cultivation Soil
लहसुन की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। ऐसी मिट्टी जिसमें अच्छे जल निकासी की सुविधा हो और जिसका pH मान 6.0 से 7.5 के बीच हो, वह लहसुन की खेती के लिए आदर्श होती है।
लहसुन की टॉप किस्म | Top Garlic Variety
- यमुना सफ़ेद (G-1):
- गुजरात लहसुन-4 (G-4):
- एग्री फाउंड लहसुन-1
- श्वेता-99 (Shweta-99)
- ऊटी लहसुन
लहसुन की खेती के लिए बीज की मात्रा | Seed Rate of Garlic Crop
लहसुन की फसल से प्रति एकड़ अनुसार ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने के लिए 200 से 250 किलोग्राम लहसुन बीज का उपयोग करना चाहियें।
लहसुन में खाद और उर्वरक की मात्रा | Garlic Crop Fertilizer Management
- नाइट्रोजन (N): 50-60 किग्रा प्रति एकड़ (दो भागों में विभाजित करके, पहली बार रोपाई के समय और दूसरी बार 30 दिन बाद)।
- फॉस्फोरस (P2O5): 30-40 किग्रा प्रति एकड़ (रोपाई से पहले)।
- पोटाश (K2O): 30-40 किग्रा प्रति एकड़ (रोपाई से पहले)।
- ऑर्गेनिक खाद: 8-10 टन गोबर की खाद प्रति एकड़, खेत की तैयारी के समय।
लहसुन की फसल में में कीटों और रोगों की समस्या | Garlic Pest and Disease
- लहसुन में प्रमुख कीट – माहू (Aphids), कैटरपिलर (Caterpillar), थ्रिप्स (Thrips), लाल मकड़ी (Red Mites), अनियन मेगट (Onion Maggot) आदि और अन्य कीटों की समस्या।
- लहसुन में प्रमुख रोग – पर्पल ब्लोच (Purple Bloch Disease), जड़ सड़न रोग (Root Rot), झुलसा रोग (Blight Disease), डम्पिंग ऑफ (Damping Off Disease), डाउनी मिल्ड्यू (Downy Mildew) आदि और अन्य रोगों की समस्या।
लहसुन कटाई और उत्पादन | Garlic Crop Production Per Acre
- लहसुन की फसल आमतौर पर 4-5 महीने में तैयार हो जाती है। जब पत्तियाँ पीली होकर मुरझाने लगें, तो समझना चाहिए कि फसल कटाई के लिए तैयार है। फसल की कटाई के बाद, कंदों को 7-10 दिनों तक छाया में सुखाना चाहिए।
- लहसुन की फसल का उत्पादन प्रति एकड़ 50-70 क्विंटल होता है, जो किस्म, जलवायु और कृषि प्रबंधन पर निर्भर करता है।
धनिया की खेती | Coriander Farming in India
धनिया (Coriander Crop) एक महत्वपूर्ण मसालेदार पौधा/फसल है, जिसे भारतीय रसोई में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसकी खेती की जाती है न केवल स्वाद के लिए बल्कि औषधीय गुणों के कारण भी।
सितम्बर का महीना धनिया की खेती के लिए आदर्श समय होता है। भारत के उत्तर-पश्चिमी और मध्य भागों में जैसे राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और गुजरात में धनिया की खेती आमतौर पर सितम्बर के अंत से अक्टूबर के पहले सप्ताह में की जाती है।
धनिया की खेती के लिए मिट्टी का चयन | Coriander Cultivation Soil
धनिया की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी आदर्श है। इसमें हल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए।
धनिया की टॉप किस्म | Top Coriander Variety
- कलस सीड्स – कलस धनिया का बीज
- नामधारी – सुरभि धनिया का बीज
- जेन्टेक्स – किरण धनिया का बीज
- शाइन – रूचि धनिया का बीज
- बायो सीड्स – अमोरा धनिया का बीज
धनिया की खेती के लिए बीज की मात्रा | Seed Rate of Coriander Crop
धनिया के बीज की दर आमतौर पर 8-10 किलोग्राम प्रति एकड़ होती है। बीजों को समान रूप से छिड़कने के लिए इसे पहले अच्छे से मिक्स कर लें और फिर बुवाई करें।
धनिया में खाद और उर्वरक की मात्रा | Coriander Fertilizer Management
- गोबर की खाद: 10-15 टन प्रति एकड़, खेत की तैयारी के समय।
- नाइट्रोजन: 30 किलोग्राम प्रति एकड़, फसल के 30 दिनों बाद।
- फास्फोरस: 20 किलोग्राम प्रति एकड़, बुवाई के समय।
- पोटेशियम: 20 किलोग्राम प्रति एकड़, बुवाई के समय।
धनिया की फसल में कीटों और रोगों की समस्या | Coriander Pest and Disease
- धनिया में प्रमुख कीट – माहू (Aphids), जैसिड (Jassids), कैटरपिलर (Caterpillar), लीफ माइनर (Leaf Miner),सफेद मक्खी (Whitefly), थ्रिप्स (Thrips) आदि और अन्य कीटों की समस्या।
- धनिया में प्रमुख रोग – उकठा रोग (Wilt), पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew), झुलसा रोग (Blight Disease), जड़ सड़न रोग (Root Rot), बैक्टीरियल विल्ट (Bacterial Wilt) आदि और अन्य रोगों की समस्य ।
धनिया कटाई और उत्पादन | Coriander Production Per Acre
- हरी धनिया की कटाई 75 दिनों में और बीजो के लिए धनिया फसल की कटाई आमतौर पर 3-4 महीने के बाद की जाती है, जब पौधों की पत्तियाँ पीली और सूखी हो जाती हैं। कटाई के बाद बीजों को अच्छे से सुखाना आवश्यक होता है।
- हरी धनिया का प्रति एकड़ उत्पादन 16 से 20 क्विंटल और बीजों वाली धनिया की प्रति एकड़ उत्पादन 5-8 क्विंटल तक हो सकती है, जो किस्म और खेती की परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
सारांश :
सितंबर माह में इन टॉप 5 सब्जियों की खेती करके किसान अपने खेतों से लाखों रुपये का मुनाफा कमा सकते हैं। यह सही समय है जब आप अपनी खेती की योजनाओं को कार्यान्वित कर सकते हैं और अपनी मेहनत का पूरा फल प्राप्त कर सकते हैं। Farmer Phone Company के माध्यम से सितंबर में सब्जियों की खेती करने से न केवल आपकी आमदनी बढ़ेगी, बल्कि आप देश की खाद्य सुरक्षा में भी योगदान देंगे।
Author –